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भागना.. कायरता की निशानी नहीं .. अपितु अगले अवसर का प्रयास,,

political express
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भागना.. कायरता की निशानी नहीं .. अपितु अगले अवसर का प्रयास,,

 लोग कहते हैं की बाबा रामदेव भाग गया…. … पर भाई .. जब भगाओगे तो… भागना तो पड़ेगा ही ? मर कर लड़ाई नहीं जीती जाती .. ये गंधासुर की जो कहानियां हैं न, इसने पूरी पीढ़ी का सत्यानाश मार दिया…. अहिंसा…. अनशन… भगत सिंह ने भी किया था सत्याग्रह .. लट्ठ खा कर सिद्धा हो गया था … फिर बन्दूक ही उठाई l अब आता हूँ मुद्दे पर…. 1. भगवान् श्री कृष्ण भागे थे…. मथुरा से… द्वारिका गए.. नाम पडा रणछोड़… परन्तु नाम की चिंता नहीं की उन्होंने… क्योंकि वो जानते थे की वो किस कार्य के लिए धरती पर आये हैं… और जरासंध के साथ होने वाले युद्धों में समय नष्ट होगा और जान माल की हानि अलग…. 2. … चन्द्रगुप्त मौर्य … जाने कितनी बार धननंद के राज्य में बीचों बीच घुस कर आक्रमण करता था…. फिर हार कर वापिस भाग कर आता था… क्यों…. क्योंकि अगली बार फिर कोशिश करूँगा…. 3. पृथ्वी राज चौहान भी लेके ही भागा था .. संयोगिता को … नहीं भागता .. तो जयचंद उसे वहीं खत्म कर देता… 4. शिवाजी .. फलों के टोकरे में छुप कर भागे थे… 5. दशम गुरु गोबिंद जी को भी कई मोकों पर भागना ही पडा था .. नांदेड भी गए… हजूर साहिब 6. महाराणा प्रताप की आयु तो भागते भागते.. छिपते छिपते .. जंगलों में ही गुजरी … 7. बुन्देलखण्ड का महान शूरवीर छत्रसाल…. वो भाग भाग कर ही विजयी हुआ… 8. तांत्या टोपे… नाना साहब …. ये भी भागते ही थे न… 9. … और सनातन संस्कृति की सबसे शूरवीर नारियों में अपना नाम रखने वाली .. ब्राह्मणी रानी लक्ष्मी बाई … उसको भी अंत समय में भागना ही पडा…. अपने पुत्र को पीठ पर बाँध कर भागी थी वो … 10. भगत सिंह…. भागे थे सांडर्स को मार कर… केश कटवा लिए थे…. 11. चन्द्रशेखर सीताराम तिवारी आज़ाद…. भगवा वस्त्र पहन कर ही भागे थे…. 12. सुखदेव .. राजगुरु जी … सब भागे ही थे… 13. हुतात्मा गोडसे जी खड़े रह गए…. और इस ऋषि भूमि देव तुली अखंड भारत के तत्कालीन समस्त जनमानस ने देखा….. की किस प्रकार… हरामखोर को .. हे-राम बना कर पेश किया गया… नेहरु द्वारा…. * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * भाग जाना….. कायरता नहीं होती… भाग जाना…. एक दूसरा मोका ढूँढने का अवसर भी देता है .. इसलिए आवश्यक है .. की वर्तमान पीढ़ी की मानसिकता बदली जाए…. और…. हम सब स्वयम अपनी मानसिक्त अभी बदलें .. निरर्थक CONgrASSi पुस्तकों की shikshaon को padh कर अपनी सनातन संस्कृति के गौरवशाली इतिहास को जानिये… हम लोग कभी ऐसे नपुंसक नहीं थे… इस बात पर विचार करना आवश्यक है l

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